लखनपुर कोट: कत्युरी राजाओं का किला

लखनपुर कोट का किला 
लखनपुर मंदिर 
लखनपुर से गेवाड़  घाटी का अद्भूत दृशय 
              वर्तमान हाट गांव के उपर व गनाई (चौखुटिया) जौरासी वन मार्ग के उपर एक टीले पर पाली के कत्युरी राजाओं का किला था। ऐसा मानना है कि इस किले के अंदर महल थे जो अब सारा क्षेत्र खंडहर में बदल गया है। यहाँ के महलों के तरसे गए पत्थरों को सड़क ठेकेदारों ने सड़कों पर दफ़न कर दिया । ऐतिहासिक महत्व की अनेक वस्तुएं जमीं के गर्त में समां गई हैं इस पहाड़ी के निचे की पहाड़ियों के उपर किलों और महलों के खंडहर अभी भी विद्यमान हैं यहाँ से गेवाड़ का सुन्दर विहंग्मय दृश्य देखने लायक है । राजा विरम देव यहाँ के  सासक थे । इस किले के दो सौ मीटर निचे व हाट गांव के उपर बिरमदेव का नौला बना हुआ है इस नौले में बारों मांस पानी भरा रहता है उस समय पीने की पानी की आपूर्ति इसी नौले से होती थी । लखनपुर किले से एक गुफा द्वार है जो कुछ समय पहले बंद कर दिया गया है कुछ समय पहले तक उस गुफा लगभग 7 - 8 सीढ़ी तक खुला हुआ बाद में किसी कारन वस बंद कर दिया गया। कहा जाता है जब जियारानी रानीबाग (जो हल्द्वानी के पास में  है) में स्नान कर रही थी तब स्नान करते वक्त इक दैत्य उन पर मोहित हो गया था और वह दैत्य जियारानी के पीछे पड़ गया । रानीबाग से इक गुफा द्वार है जो अन्दर से कई अन्य सहारों के लिए मार्ग जाता है ऐसा लोगों का कहना है उस वक्त जियारानी अपनी लज्जा बचाने के उस गुफा से सीधे गेवाड़ घाटी की लखनपुर कोट पर आ निकली कई वर्षों तक वह वहां छिपी रही । लखनपुर कोट से ही एक गुफा का मार्ग धामदेवल के पास में निकलता है जहा पर जियारानी अपने स्नान के लिए भोर कल में रामगंगा में आती थी । उस समय गेवाड़ घाटी के  पृथ्वी देवपाल राजा थे । उन्हें इस बात का पता चला की कोई स्त्री यहाँ छुपी  हुई । पृथ्वी देवपाल जी वहां सवयं गए और जियारानी से मिले । मिलने के पश्च्यात जियारानी ने अपनी व्यथा राजा पृथ्वी देवपाल जी से कही ।  राजा पृथ्वी देवपाल ने जियारानी की लोक लाज के भय से उन से विवाह कर लिया और उन्हें गेवाड़ घाटी की रानी बना लिया । कई समय तक संतान की प्राप्ति न होने पर पृथ्वी देवपाल ने धर्मा देवी से दूसरी  शादी कर ली फिर भी कोई परिणाम न निकला। किसी व्यक्ति ने उन्हें यह जानकारी दी कि  वह बागनाथ (बागेश्वर) में शिव की अराधना करे तो उन्‍हें संतान की प्राप्‍ति हो सकती है। तद्पश्च्यत ऐसा ही किया । जिस से बाद में जियारानी से  धामदेव और दूसरी पत्नी धर्मा देवी से राजा मालूशाही हुए । राजा मालूशाही गेवाड़ घाटी के अंतिम राजा थे ।  जिनकी  प्रेम कथा आज भी जीवित है । 

4 comments:

  1. thanks for the information...

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद जानकरी बाटने के लिए

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  3. ऐसी धरोहर को संभालकर रखनी चाहिए थी ।

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  4. ऐसी धरोहर को संभालकर रखनी चाहिए थी ।

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