गेवाड़ घाटी का सूक्ष्म इतिहास


गेवाड़ घाटी के बारे में आप लोग बहुत कुछ जानते होंगे, हमारी गेवाड़ घाटी, मासी से चौखुटिया तक की पूरी बैल्ट गेवाड़ घाटी में आती है जैसे की - तल्ला गेवाड़ (मासी), मल्ला गेवाड़ (चौखुटिया) गेवाड़ घाटी का एक बड़ा ही लोकप्रिय घाटी रही है जहाँ तक गेवाड़ घाटी के बारे में मैंने बुजुर्ग लोगों से पूछा उन  लोगों से गेवाड़ घाटी के बहुत से एतिहासिक राज मालूम हुए ।
                कहा जाता है कि ३००-४०० ई. के लगभग  यहाँ राजा बैराठ जी का साम्राज्य हुवा करता था, जिसका पिथौडगड, तिब्बत, एसे  कई राज्यों तक राज था । राजा बैराठ जी का कीर्ति पताका  चारों ओर फैली हुई थी ।
कहा जाता है कि एक बार गेवाड़ घाटी बैराठ (चांदिखेत(चौखुटिया)-धुतलिया) में बहुत ही विनाशकारी युद्ध हुवा था | जिस में खून की नदियाँ बह गयी थी । नदी के दोनों ओर का आज भी मिट्टी में बहुत अंतर देखा गया है नदी के इस पार चांदिखेत में लाल मिट्टी है और  उस पार धुतालिया में सफेद  मिट्टी है कहा जाता है कि चांदिखेत में खून की नदियाँ बहने के कारण से वहां की मिट्टी लाल हुई होगी । ...
राजा बैराठ के  नाम से ही आज भी चंदिखेत की मैदानी खेती को " बैराठ तया" के नाम से जाना जाता है |
राजा बैराठ के राज्य के बाद लगभग २०० वर्ष तकरीबन ७०० ई० के लगभग गेवाड़  घाटी में  कत्यूरियों का आगमन हुवा । और गेवाड़ घाटी में धर्म की स्थापना कर गेवाड़ घाटी में चार चाँद लगा दिए ।
    गेवाड़ घाटी में कत्युरी राजाओं का आना हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि हम उसी गेवाड़ घाटी में हमारी  जन्म स्थली है । कत्यूरियों में १४ राजाओं ने गेवाड़ घाटी में धर्म की रक्षा करते हुए  सुखी व  शांति से राज किया था । राजाओं में अंत में पृथ्वी देवपाल हुए उनकी दो  पत्नियाँ थी । पहली पत्नी का नाम जियारानी था और दूसरी पत्नी का नाम धर्मा देवी था । जिया रानी रानीबाग की बताई  जाती है जो हल्द्वानी के निकट है  सुनने में यह आया कि जियारानी रानीबाग गौला नदी में स्नान कर रही थी इस बिच एक अशुर उनका पीछा करने लगा । जिया रानी (रानीबाग में एक गुफा है)  गुप्त गुफा में चली गई जिसका एक द्वार गेवाड़ घाटी लखनपुर में आकर निकलता है अब वर्तमान में इस गुफा का मार्ग  ईंट पत्थरों से बंद कर दिया है ।  जियारानी अपनी लाज बचाते हुए उस गुफा से लखनपुर आ बसी । पृथ्वी देवपाल  पहली पत्नी जियारानी से धाम देव हुए और दूसरी पत्नी धर्मा देवी  से हुए मालूशाही जिन्हें वैराठ का राजा बनाया गया । राजा मालूशाही गेवाड़ घाटी वैराठ के अंतिम राजा थे । कहा जाता है कि उसके बाद कत्युर वंशी मनीला की और चल बसे थे । कत्युर वंशियों पर भी कई प्रश्न उठाये गये हैं जिनमें से महत्वपूर्ण प्रश्न है कि कत्युर वंशी यदि थे तो वो कहाँ गये ? कई लोगों से पूछने पर कई बातें सामने आई और यह स्पस्ट नही हो सका कि सत्य क्या है ? यहाँ पर भी लोगों के कई मत हैं किसी का यह कहना है कि जब मालूशाही राजुला को खोज में हुण देश  पहंचा तो हुण के राजा विखीपाल को मार कर राजुला से विवाह का आग्रह किया और अपनी पूरी सेने को निमंत्रण दिया और कहा कि सभी सैनिक बारात में बाराती बनकर सामिल हौं । बारात हुण देश पहुचने के बाद हूंणीयों  ने  आदर सत्कार होने के बाद बारातियों भोजन को भोजन के लिए आग्रह किया और उनके भोजन में विष मिलकर ५०००० कत्यूरियों को मार डाला । कई लोगों का यह भी कहना है कि कत्यूरियों कि मृत्यु विष से नही अपितु भारी बारिश व भूस्खलन से सभी बाराती दब कर मर गये । कई लोगों का मानना यह भी है कि बारात सकुशल घर घर पहुँच गई थी और सभी हशी ख़ुशी दिन बिताने लगे । और यह बात सामने आई कुमाऊं में  शाह और बिष्ट कत्यूरियों के ही वंशज हैं ।

2 comments:

  1. Pndit Ji ... you had pretty much submitted .You have been very interesting and enlightening history information is shared. It is very interesting for me to learn about my "Gewaad valley " deeply Which is in itself very beautiful. I m very very thankful to you . God bless You keep going Your effort is very commendable.
    Thanks Again

    Nitin Sati
    Village -Jairam Bakhal
    Tahsil - Chaukhutiya

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  2. स्वागत नितिन सती जी आपका । और आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आप गेवाड़ घाटी ब्लॉग में आकर इस की सोभा बड़ाई है में आपका आभार प्रकट करता हूँ .. सती जी इस गेवाड़ घाटी की जानकारी देना का सौभाग्य मुझे आप लोगों की ओर से ही हुआ है और आसा करता हूँ कि आप लोगों को नियमित रूप से गेवाड़ घाटी की जानकारी मिलती रहे ।
    आप लोगों का मित्र भास्कर जोशी
    गेवाड़ घाटी - दीपाकोट

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